Thursday, April 14, 2022

रणथम्भौर के बाघ करौली और बूंदी की तरफ बढ़ते हुए

 रणथम्भौर के बाघ करौली और बूंदी की तरफ बढ़ते हुए 

सवाई माधोपुर-रणथम्भौर में बाघों का कुनबा बढ़ने के साथ ही बाघों के लिए विचरण क्षेत्र कम पड़ने लगा है। ऐसे में आए दिन रणथम्भौर में बाघों के बीच संघर्ष के मामले सामने आते रहते हैं। खुद वन विभाग यह मान चुका है कि वर्तमान में रणथम्भौर में क्षमता से अधित बाघ-बाघिन विचरण कर रहे है। रणथम्भौर में करीब 50 व्यस्क बाघों की जगह है, लेकिन यहां वर्तमान में 60 से अधिक वयस्क बाघ-बाघिन विचरण कर रहे हैं। टेरेटरी की तलाष में बाघ-बाघिन इधर उधर भटक रहे हैं। कई बाघ बिल्कुल रणथम्भौर की सीमा तक पहुंच चुके हैं। अब ये करौली और बूंदी के जंगलों में पहुंच सकते हैं। 

वन विभाग के अनुसार रणथम्भौर की बाघिन टी-8 की संतान बाघ-टी-129, जिसका पूर्व में कुण्डाल वन क्षेत्र के पोलघटा इलाके में विचरण कर रहा है। पोलघटा इलाके में बाघ के पगमार्क भी मिल रहे है। ऐसे में बाघ और आगे बढ़ा और बाघ ने चाकल नदी को पार किया तो यह बाघ रणथम्भौर से निकलकर बूंदी के जंगलों में पहुंच जाएगा। इस रास्ते से बाघ रामगढ विषधारी अभ्यारण तक जा सकता है। 



वहीं रणथम्भौर में बाघों के एक बार फिर करौली और बूंदी के बाॅर्डर पर पहुंचने से वन विभाग भी अलर्ट मोड पर है। वन विभाग की ओर से बाघों की लगातार माॅनिटरिंग कराई जा रही है। इसके लिए विभाग की ओर से सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। 

वहीं बात करें बाघिन टी-102 के युवा शावक भी अब टेरेटरी की तला कर रहे हैं। आघिन टी-102 के एक शावक ने तो टेरेटरी की तला में करीब-करीब करौली की तरफ अपना रूख कर लिया है। यह बाघ रणथम्भौर के भूरीपहाड़ी इलाके में पहुंच  चुका है। ऐसे में यदि बाघ ने बनास नदी को पार किया तो यह बाघ करौली के कैलादेवी अभ्यारण तक पहुंच  सकता है। पहले भी इसी मार्ग से पूर्व मेें रणथम्भौर का खूंखार बाघ टी-104 भी करौली पहुंच चुका है। 

वहीं इस पूरे मामले पर सवाई माधोपुर रणथम्भौर बाघ परियोजना के उपवन संरक्षक महेन्द्र र्मा के अनुसार रणथम्भौर में बाघों की संख्या अधिक होने की वजह से कई बाघ टेरेटरी की तला में इधर-उधर भटक रहे हैं। बाघ टी-129 व टी-102 का षावक रणथम्भौर के बाॅर्डर तक पहुंच गए हैं। यदि यह बाघ आगे बढ़े और इन्होंने नदी पार की तो ये बूंदी व करौली पहुंच सकते हैं। हमारी ओर से लगातार माॅनिटरिंग कराई जा रही है।  


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om sai

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